Address (Excerpts) by Shri Jagdeep Dhankhar, Honourable Vice President at the Rajmata Vijayraje Scindia Krishi Vishwavidyalaya in Gwalior, Madhya Pradesh on May 4, 2025.

Gwalior, Madhya Pradesh | May 4, 2025

सभी को नमस्कार,

मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल—लंबा राजनीतिक जीवन, ज़मीन से जुड़े हुए और जनजाति कल्याण के लिए पूरी तरह से समर्पित और संकल्पित। आपके यहाँ के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी, मेरी ही तरह कृषक पुत्र हैं। जब मैंने गऊशाला का एक तरीके से उद्घाटन किया और दो गाय थीं, तो इन्होंने मेरे कहने से पहले ही कहा—"ये जल्दी तीन अंकों में हो जाएगी।" पर मोहन यादव जी जानते हैं—मुझे भूलने की आदत नहीं है। मैं मानकर चलता हूँ, इसी वर्ष यह सम्पन्न हो जाएगा।

मंच पर विराजमान केन्द्रीय मंत्री मंच पर सबसे युवा व्यक्ति हैं—उम्र में कम हैं, पर मेरा रिश्ता, जो तीन पीढ़ी का आपने बताया, इनसे उसी मापदंड पर है। आप उससे दूर मत हटिए। कम उम्र के बावजूद, मेरा रिश्ता आपसे उतना ही है कि आपको देना है, मुझे ग्रहण करना है—याद रखिए।

आपका दायित्व है, बहुत महत्वपूर्ण है, और आपने मंत्रालय को जो बल दिया है—The kind of motivation, inspiration in the Ministry of Communications. मैंने आपका एक कार्यक्रम attend किया है। I was amazed—his total involvement, क्योंकि our global communications have to be of global benchmark, and the kind of transparency and accountability he introduced is worth emulation. He has exemplified what is best of governance. पर उससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण, इनका एक विभाग है, जो राष्ट्र के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।

90 के दशक में एक बात कही गई, जब नरसिंह राव जी प्रधानमंत्री थे—Look East, क्योंकि हमारे देश का वो भाग है, उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पश्चिम बंगाल का राज्यपाल होने के नाते, 3 वर्ष तक मुझे इसका पूरा बोध है। पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आने के बाद इस Look East को Look East, Act East किया गया, और अब ज़मीनी हकीकत बदलने का कार्य—ग्वालियर के, मध्य प्रदेश के सपूत, श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिया गया है।

He has been entrusted with the great task of development of the North Eastern region of our country, और यह हमारे राष्ट्रवाद को मजबूत करने के लिए भी बहुत जरूरी है। कभी भी प्रभारी मंत्री को नज़रअंदाज़ मत करो—बड़ी पीड़ा हो सकती है। और इसीलिए सिंधिया जी और मुख्यमंत्री जी—दोनों ने इनकी ओर ध्यान आकर्षित किया।

तुलसी राम सिलावट जी—और जब से मैंने प्रवेश किया, मैंने देखा कि सिंधिया जी मेरा तो ध्यान दे ही रहे थे, इनका भी कुछ कम नहीं दे रहे थे मुख्यमंत्री जी।

श्री अरविन्द कुमार शुक्ला जी, कुलगुरु—मैं कुलगुरु क्यों कहूँ? Vice-Chancellor कहूँगा, ताकि Vice तो common रहे। आखिर रिश्ता क्यों खत्म करूँ!

Distinguished members of the faculty, distinguished audience, and most important—my dear students. मैं बड़े मन से आज आपसे बात करने आया हूँ, पर सबसे पहले—क्या संयोग है देखिए। इस विश्वविद्यालय का नाम राजमाता विजयाराजे सिंधिया से जुड़ा हुआ है—6 बार लोकसभा की सदस्य रहीं, for 6 times, and 2 times–Member of Rajya Sabha. पर एक कालखंड आया that is ever etched in my memory. She was elected to Lok Sabha also in 1989, when I was also elected to Lok Sabha, और मुझे उनके संपर्क में आने का मौका मिला, उनका आशीर्वाद मिला। Picture of sublimity, nationalism was oozing out of her—A life of sacrifice, a life of dedication.

और आज जब भारत के सामने पहलगाम की चुनौती है, ये दूसरी बात है कि आज के दिन भारत बहुत सबल है, हमारा नेतृत्व कुशल है। पर उनकी जो प्रेरणा है—राजमाता सिंधिया जी की—कि राष्ट्रवाद सर्वोपरि है। हम भारतीय हैं, भारतीयता हमारी पहचान है। राष्ट्रधर्म से ऊपर कोई धर्म नहीं है। We always have to keep nation first. कोई भी हित राष्ट्रहित से बड़ा नहीं हो सकता—राजनीतिक हित हो, व्यक्तिगत हो, आर्थिक हो। We always do keep nation first, and I appeal to young boys and girls—हमें राष्ट्रवाद के प्रति पूरा समर्पण रखना चाहिए। यह संकल्प लेना चाहिए हमें कि यह नाम—इस विश्वविद्यालय का—आपको सदा प्रेरणा देगा, प्रेरणा का स्रोत रहेगा।

देखिए, किस सभागार में हैं और क्या संयोग है—माननीय मुख्यमंत्री जी ने संकेत दिया था। इन्होंने तो यह कहा—दत्तोपंत ठेंगड़ी जी ने कई संस्थाओं का निर्माण किया। मुख्यमंत्री जी को सब याद है, पर मुझे तो एक बात मेरे पेशे की वजह से याद है—अधिवक्ता पेशा।

Dattopant Thengadi was accorded the Civilian Award of Padma Bhushan. सिद्धांत रूप से उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। लेकिन यह बात मायने रखती है कि गणतंत्र भारत में उनको इतना बड़ा सम्मान दिया गया। He was Member of Rajya Sabha for two terms, और जब Emergency की काली छाया देश पर पड़ी, उन्होंने protest किया।
Hindu ideologue with clarity of thought on nation, nationalism, our civilizational depth.

इन दो महान विभूतियों का संगम आज यहाँ पर देखकर, मेरे मन में कोई शंका नहीं है कि जो भी यहाँ पर हैं, वो उनकी प्रेरणा से ओतप्रोत होंगे पूरी तरह से—and will deliver for the nation. I have no doubt about it.

किसान की जब बात आती है—किसान अन्नदाता है, किसान भाग्यविधाता है। हर कालखंड में, देश पर जब भी संकट आया है, हमने किसान को याद किया है। पंडित लाल बहादुर शास्त्री जी देश के प्रधानमंत्री थे और देश पर संकट आया। अन्न का भी संकट आया, तो उन्होंने एक नारा दिया—'जय जवान, जय किसान', और सही नारा दिया। किसान और जवान देश के लिए सदैव मर मिटने को तैयार रहते हैं।

जब मुझे यह कहा गया प्रधानमंत्री जी के द्वारा कि 'उपराष्ट्रपति कृषक पुत्र हैं,' तो मेरी धर्मपत्नी ने कहा—'आप कृषक नहीं, कृषक पुत्र हो,' और कृषक को हमेशा ध्यान में रखना। किसान की समस्याओं से कभी दूर मत हटना। हमें याद करना चाहिए लाल बहादुर शास्त्री जी को—'जय जवान, जय किसान।'

और जब माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी देश के प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने इसमें एक नया आयाम जोड़ दिया—'जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान।' इस कसौटी पर आपको खरा उतरना है, क्योंकि जवान और किसान—दोनों विज्ञान से प्रभावित होने चाहिए। और यह अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपने प्रधानमंत्री काल में कहा। इसको एक नई दिशा देते हुए, वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक नया आयाम और लिख दिया—अब हो गया: 'जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान।' अब विज्ञान और अनुसंधान का केंद्र बिंदु आप लोग हो।

You have to catalyse the big change by innovation, by scientific applications, by research. क्या हम ऐसा कर पा रहे हैं? यह मैं आपके विवेक के लिए छोड़ता हूँ, पर आज के दिन—and I have no hesitation in asserting—India, भारत, home to one-sixth of humanity, primarily an agricultural nation, stands at the cusp of a revolution in agriculture that can reshape our economic landscape. There is a great potential that will change our economy, क्योंकि मेरी दृढ़ मान्यता है—विकसित भारत का रास्ता किसान के खेत से निकलता है।

मैं जानता हूँ कि कई बार मन की बात को मन में रखना पड़ता है। कुछ चुनौतियाँ आती हैं जिनकी हम व्यवस्था की वजह से या अन्य कारणों से चर्चा नहीं करते, पर किसान के मामले में – मैं इसका पालन नहीं करता। किसान का दर्द या किसान के जीवन में बदलाव के कोई भी रास्ते हों—वो सुझाना मेरा परम कर्तव्य है, और उनके दर्द को महसूस करना और आप लोगों से साझा करना ज़रूरी है। इसी बात को देखकर मैंने मुंबई में एक कार्यक्रम के अंदर जो भारत के कृषि अनुसंधान निगम का था—Indian Council of Agriculture and Research—मैंने कहा, "किसान को गले लगाना हमारा कर्तव्य है।" किसान को हम किसी भी हालत में छका नहीं सकते। किसान का दर्द किसान हमें महसूस कराए, यह ठीक नहीं है। हमें अंदाज़ा लगाना चाहिए किसान के दर्द का।

हमारी संस्कृति में झांकेंगे तो पता लगेगा—बरसात आती है तो पक्षी बता देते हैं, भूकंप आता है तो जानकारी हो जाती है, गाँव के अंदर जब कोई वाहन आता था पहले तो मोर बता देता था। We have to be extremely sensitive for welfare of the farmer, और तब मैंने एक बात कही थी—we must have dialogue with the farmer.

वैसे, प्रजातंत्र के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है अभिव्यक्ति और संवाद, जिसे वेद दर्शन में कहा गया—'अनंतवाद'। पर किसान के मामले में, इसमें कोई भी ढिलाई और कोताही यदि अगर वार्तालाप में होती है या इसमें कोई कूटनीति बीच में लाते हैं—वो ठीक नहीं है। और मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि आपके पूर्व मुख्यमंत्री, वर्तमान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, इसको बखूबी निभा रहे हैं। उन्होंने किसान की पीड़ा को भांप लिया है और संवाद जारी कर दिया है। मेरे मन में अब कोई शंका नहीं है कि किसान से वार्ता होगी और किसान समझेगा कि भारत सरकार की कितनी अच्छी, सकारात्मक नीतियाँ हैं—जो पहले कभी नहीं हुआ—वो किसान के लिए भारत सरकार कर रही है। उसकी जानकारी होना जरूरी है।

जब यह कहा गया आपके कुलगुरु द्वारा कि This University is associated with 22 Krishi Vigyan Kendras, देश में आज के दिन 730 से ज़्यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं और Indian Council for Agricultural Research की संस्थाएँ 150 से ज़्यादा हैं। आप जैसी संस्थाओं का दायित्व है कि आप जीवंत संपर्क उनसे करें। बड़े बदलाव के केंद्र होंगे।

यदि अगर किसान का जीवन बदलेगा, तो किसान का जीवन तभी बदलेगा जब किसान खुशहाल होगा। किसान परिवार के बच्चे-बच्चियाँ कृषि को लेकर नए काम करें। आज के दिन देश का सबसे बड़ा व्यापार कृषि उत्पादन का व्यापार है। Look at the enormous scale of marketing of agricultural produce—मंडियाँ हैं, आढ़तिए हैं। In fiscal term, it's astronomical. पर क्या किसान इसमें भागीदार है? नहीं। किसान सिर्फ़ producer रह गया है। हमें इस मानसिकता को बदलना है। किसान produce करता है और उसी समय बेच देता है—यह विवेकपूर्ण निर्णय नहीं है।

I appeal to you—please convert the farmer from Producer to Agripreneur—Agriculture Entrepreneur—जिसको मैं Agripreneurs कहता हूँ। जब किसान अपने उत्पाद के बिक्री व्यापार में बढ़ेगा, उसके हिस्से में भी वो अंश आएगा।

दूसरी बात—कृषि उत्पाद उद्योग का आधार है, पर किसान उससे कोसों दूर है। Why? Why should the farmer not add value to the product? यह सोचने का विषय है। सरकार की इतनी सकारात्मक नीतियाँ हैं आज के दिन—मुख्यमंत्री जी और पहली बार प्रधानमंत्री जी ने विवेकपूर्ण तरीके से संविधान में सहकारिता का अध्याय जोड़ा है। किसान को आगे आना चाहिए।

मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई जब मुख्यमंत्री जी ने थोड़ी देर पहले कहा कि जो भी गौशाला करेगा, हम उसे सहायता देंगे। अगर 200 की गाय होगी, तो फिर आप 50 की या 75 की—कितने की? 50 की, यानी 25% की—यहाँ भी दे देना।

पर क्या है कि सरकार किसान को पैसे दे रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि—जो शुरू की गई थी, 5 साल से ज़्यादा हो गए—6 हजार रुपये, साल में 3 बार दो-दो हजार की किश्त। दुनिया एक बात से अचंभित है कि देश का किसान इतना सक्षम हो गया कि वह 3 किश्तें सीधी अपने bank में receive करता है। यह तकनीकी क्रांति का अद्भुत नमूना है, कि 10 करोड़ किसान भारत में technologically enabled हैं, कि वे सीधा पैसा अपने account में receive करते हैं। पर किसान की indirect मदद भी होती है, जिसे हम कहते हैं subsidy।

पहली बात, किसान को जो भी सहायता मिले, inflation connected होनी चाहिए। 6000 रुपये प्रति वर्ष, अब भी 6000 हैं, कोई भी अर्थशास्त्री कहेगा कि 6000 रुपये की जो कीमत शुरू की गई थी, वो कीमत आज उसकी नहीं है। प्रधानमंत्री जी ने अर्थव्यवस्था में इसे factor किया है, inflation को विधायकों की तनख्वाह में किया है, सांसदों की तनख्वाह में किया है। Inflation must be factored in the assistance that is given to farmers. United States of America में, एक कृषक परिवार की जो औसत आय है, वह सामान्य परिवार की आय से ज्यादा है। और अमेरिका में भी percentage-wise, उतने ही कृषि householders हैं जितने अपने यहाँ — अपने यहाँ करीब 10 करोड़ के करीब हैं, उनके यहाँ करीब 1 करोड़ 80 लाख हैं। But one thing is very striking. In the United States, the entire assistance to the farmer is not routed; it is directly given to the farmer.

जैसे अपने यहाँ प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि है, पर बहुत ज्यादा खर्चा भारत सरकार करती है, बहुत ज्यादा करती है fertilizer subsidy पर। आज यह चिंतन का विषय है और आपके लिए शोध का विषय है कि यही पैसा यदि अगर किसान को सीधा मिलता है, तो भारत के हर किसान परिवार को कम से कम सालाना 30,000 रुपये मिलेंगे। यह सीधे उसको मिलने चाहिए। आज के दिन, when government is subsidizing fertilizer, the farmer is not feeling the impact of it. We must have direct transfer of subsidy to the farmer. And this is not the only way, सरकार की अनेक schemes हैं जहाँ कृषि पर सरकार खर्चा करती है, पर उसमें माध्यम दूसरा हो जाता है। We must cut it down; इसके बहुत अच्छे फायदे होंगे।

You must also act on certain challenges which farmers have, और एक बड़ा challenge है perishable agricultural produce। एक ऐसा कृषि उत्पाद जिसकी shelf life ज्यादा नहीं है, टमाटर को ले लीजिए, बहुतायत में हो गया, चुनौती हो गई। We must act in that direction. मैं मानकर चलता हूँ, if you manage it post-harvest management, it requires village-level involvement. We must have warehousing and cold storage chains that must be managed by cooperatives. क्योंकि हर हालत में किसान का जीवन बदलना जरूरी है, यह राष्ट्रवाद को भी मजबूती देगा, अर्थव्यवस्था को भी देगा और विकसित भारत के रास्ते में कोई रुकावट नहीं आने देगा, but this has to be done in a seamless manner. उद्देश्य एक ही होना चाहिए: optimisation of gain to the farmer, और यह मैं समझता हूँ निश्चित रूप से होकर रहेगा।

समय काफी हो गया है, बात अधूरी है। कुछ लोगों ने अपनी मुंडी हिलाई है, मुझे बड़ा अच्छा लगा है। माननीय मुख्यमंत्री जी और सिंधिया जी, यहाँ के कुछ छात्र-छात्राओं को मैं निमंत्रण देता हूँ कि वो दिल्ली में आकर नई संसद को देखें। मेरे मेहमान बने और तब मैं उनसे कृषि के बारे में भी गंभीरता से बात करूँगा। आप ये देखिए, कृषि के अंदर technology का लाना, it has to be grounded, जो अनुसंधान हो रहा है, हमें ध्यान देना पड़ेगा कि क्या उस अनुसंधान का किसान के जीवन पर असर पड़ रहा है। मैं एक चीज़ के लिए आपको आगाह करूँगा, and I conclude with that, Our research has to be authentic, our research is not for personal credential, our research is not for shelf, our research is not to be on shelf, our research must have impact on the farmer.

देश - दिल्ली वाले जानते हैं, आज भी जब पराली जलती है, वायु दूषित होती है, we should have found a solution to it much earlier, let us find a solution to it now. तो मेरा आप सब से आग्रह एक ही होगा, boys and girls, you have to be messengers of change, you have to catalyse the change, you have to change the agro landscape of the country, and you have to enlighten the farmer. और मैं मान कर यह चलता हूँ कि यह संस्थान 22 कृषि विज्ञान केंद्र से इतना जीवंत लगाव रखेगा कि यह हर दिन पता होना चाहिए कि वहाँ कितने किसान आते हैं, क्या जानकारी लेकर जाते हैं, कितना लाभ लेते हैं।

As a matter of fact, these Krishi Vigyan Kendras must act as a great source of policy-making for the Government. If you get suggestions about the welfare of farmers from Krishi Vigyan Kendras, the policy evolution will be more beneficial for farmers.

अंत में यही कहूँगा, जिन दो महान आत्माओं का संगम आज संस्था के नाम से लेकर सभागार के नाम तक है, वो हमारे आदर्श हैं। वो राष्ट्रवाद को समर्पित हैं, उनके नाम पर हमें संकल्प लेना चाहिए—हम राष्ट्रहित को सदैव सर्वोपरि रखेंगे।


बहुत-बहुत धन्यवाद।