Address (Excerpts) by Shri Jagdeep Dhankhar, Honourable Vice President to the students and faculty members of Jiwaji University, Gwalior, Madhya Pradesh on December 15, 2024.

Gwalior, Madhya Pradesh | December 15, 2024

आज का दिन मैं कभी नहीं भूलूंगा और कभी कल्पना नहीं की थी कि आज ऐसे कार्यक्रम में उपस्थित रहूँगा की वह मेरे लिए सदा स्मरणीय रहेगा। Three generations of this family, I have been blessed to be in connect and that too through the mechanism of Indian Parliament.

It was a touching moment for me. In 1989, when for a very brief period, Raj Mataji was member of parliament Rajya Sabha and I was member of parliament Lok Sabha, I sought her blessings. She epitomized commitment to nationalism, virtuosity that inspires us and motivates us. मुझे अंदाज नहीं था की वह आशीर्वाद मुझे कहा तक ले जाएगा। I had the good fortune to be mentored and hand-held by Late Madhavrao Scindia Ji. माधव भगवान विष्णु और कृष्ण के प्राथमिक उपनाम हैं। मेरे जैसे अनेक Parliamentarians' के वह माधव थे।

He lived in times where his thought was ahead of times, he believed in transformation. He left a deep imprint on the departments which he headed. किसी भी मंत्रालय में गए, ऐसी अमिट छाप छोड़ी जो आज तक याद है। रेल मंत्रालय का परिवर्तन आसान नहीं था, माधव ने क्या किया, यह आज हम सबके सामने है। उनका आकर्षण शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। बहुत भाविक छड़ है मेरे जीवन के, जब उन्होंने हिम्मत बंधाई। आदमी के जीवन में ऐसे संकट आते हैं, वज्रपात होता है, वह बर्दाश्त नहीं कर पाता है, जब अपने सबसे प्रिय को खो देता है। माधव का पहला फोन था, चला कर जयपुर आए और आज विधि की रचना अजीब होती है। माधव की ज्योति की किरणों का *प्रकाश* मैं महसूस कर रहा हूं, संसद में शासन में।

Friends, these are divine interventions. इस पर हमारा विश्वास होता है कि जो 5000 साल की संस्कृति है उसके दर्शन का जो निचोड़ है उसे समझने में बहुत समय लगेगा पर दुनिया आज उस संस्कृति का लोहा मान चुकी है।

जब मुझे ज्योतिरादित्य सिंधिया जी ने कहा, मैं अपने आप पर विश्वास नहीं कर पाया कि मैं उस महापुरुष की मूर्ति का अनावरण करूंगा, जिन्होंने स्वतंत्र भारत में क्या कीर्तिमान स्थापित किया। मध्य भारत के राज्य प्रमुख बने वह अलग बात है। उन्होंने सरदार पटेल की राष्ट्र भावना को देखते हुए, और आज सरदार पटेल जी की जयंती है, उनको नमन करता हूं मैं। जो मूर्ति का अनावरण किया है, उन महानुभाव ने आज़ादी के बाद राष्ट्रीयता को नई गति देते हुए, became one of the first to integrate with Bharat, and along with several others in this area, that was his mission. Ladies and gentlemen, the historic event of unveiling his statue will ever be etched in my memory. I am deeply moved by the profound significance of this moment. It is easy to imagine now that things have taken place. But when you roll back, when you turn the wheel of time and go back, काल चक्र को घुमाकर पीछे जब जाएंगे तो हमें पता लगेगा कि वह ज़माना कैसा था? उसमें ये सोच आना।

Much ahead of times, and for that, my salutations. Friends, If I go deep into his rule, It embodied the confidence of foresight, courage, compassion, assuring an unprecedented public welfare and social progress, primarily focusing on education.

I fully subscribe to the view of Hon'ble Minister Jyotiraditya Scindia. Education is the most impactful mechanism of transformation. Education brings about equality and cuts into inequities. Education alone can be put as fragrance and nectar of democracy. Education makes us aware of human existence, human dignity, and our belief in prosperity of the planet, and when someone focuses on this, हमारे मन में एक ही विचार आता है, आदर भाव का, सम्मान का, ऐसी शख्सियत हमारे लिए प्रातः पूजनीय है, सदैव आदरणीय है।

Late Maharaja, with a rare confidence of extraordinary energy and unwavering commitment, he embodied the true spirit of service to the public at large and nation building. Look at the journey he had post-independence. No time was lost in nurturing the spirit of nationalism, no time was lost in blossoming it and that is why the Scindia family is amongst very few families in the country and the world to be so organically associated with democratic process but what is more outstanding is that the contributions members of this family are making and have made is in premium category.

Yesterday I had the good fortune to attend a program and that again fortunately friends was a journey of six decades as is for this university and the Hon'ble minister. Mr. Jyotiradiya Scindiaji had so enthused that the entire human resource present before me was in sync with his enthusiasm. I came out invigorated, enthused. A leader is one, who doesn't think of the moment, he thinks of the future. A plan or a scheme is of the moment, but vision is something for larger strength.

और बड़ी प्रसन्नता का विषय है कि शिक्षा जो अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने तीन दशक के बाद एक ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा निति का निर्माण किया जो भारत के भविष्य को सुरक्षित करती है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की हैसियत से मुझे इसका ध्यान बहुत है Stakeholders in thousands gave their inputs and then we have this policy. इस पॉलिसी पर जिस इसका ध्यान दिया गया है, मैं मान कर चलता हूँ कि ये महाविद्यालय, महाविश्वविद्यालय will take lead in executing the policy to the last mile.

Boys and girls, we are living in times of hope and possibility. आज के दिन आप अपनी प्रतिभा चमका सकते हो क्योंकि ऐसी व्यवस्था का निर्माण हो चुका है, where you can fully exploit your potential and realise your dreams and aspirations, और ऐसा क्यों हुआ है, क्योंकि boys and girls, आज के नवयुवकों को सबसे ज्यादा चिंता रहती है कि मेरी प्रतिभा का आकलन कहीं भ्रष्टाचार तो नहीं खा गया, मेरी प्रतिभा का आकलन कहीं सिफारिश से तो नहीं हो रहा है, और यह स्थिति आ गई है की कानून के सामने समानता जिसमें कुछ लोगों का विश्वास नहीं था, वह अपने आप को कानून से ऊपर समझते थे कि कानून हमारा क्या कर लेगा। आज उनका कानून की गरमाहट महसूस हो रही है।

एक जमाना था, और ज्यादा सामान नहीं हुआ है, याद कर सकते हो, बिना extra legal means के, बिना corruption के, contract, job और opportunities मिल ही नहीं सकती थी। एक बदलाव देखिए आप, क्योंकि अगली बात कह रहा हूं जो आपको समझ में अच्छी तरह से आएगी। बदलाव पूछिए अपने दादा-दादी से, नाना-नानी से, वह बिल बिजली का देते थे, लाइन में खड़ा होना पड़ता था, रेलवे की टिकट के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ता था, सरकारी कर्मचारियों को छुट्टी लेनी पड़ती थी, पासपोर्ट को अप्लाई करना एक अजीब बात थी, और बैंक में अकाउंट खोलना सपना था. These mega transformative things are now ground reality on account of technology. पर अब क्या है? अब यह Technology बहुत fast बदल रही हैं। तो नहीं तकनीकी आ रही हैं। जिसको परिभाषित कर सकते हैं। Artificial Intelligence, Internet of Things, Machine Learning, Blockchain and the kind. ये बहुत जल्दी बदल रही हैं। ये हम में भी बदलाव ला रही हैं। पर ऐसी संस्थाओं का परम कर्तव्य है कि वो शोध कर, अनुसंधान कराएँ। And they must convert challenges of these into these disruptive technologies into opportunities. और मेरे मन में कोई शंका नहीं है कि यह महाविद्यालय, महाविश्वविद्यालय ज़रूर ये कराकर रहेगा। मैं यहां से आग्रह करूंगा कि महाराजा श्रीमंत जीवाजीराव सिंधिया जी ने जो मार्ग प्रशस्त किया था, शिक्षा में रुचि दिखाने का, आज का उद्योग, आज का व्यापार, उनकी संस्थाएं।

They must invest in education. I appeal to industry, trade, business, and corporate and their associations to take a policy decision to pool their CSR funds to bring about institutions and nurture them. Because investment in education is investment for the present, for the future, and assures our growth to be transformed from incremental to vertical. समय की मांग यह है कि आज के दिन हर व्यक्ति को Quality Education मिले, और मैं मानकर चल रहा हूं, यह देश में गति से हो रहा है। और एक चिंता का विषय है, चिंतन के लिए है, मंथन के लिए है।

Let us ensure there is no commercialization of education. Education is service, इसको सर्विस की भावना से हमें लेना चाहिए। Boys and girls, अंत में मैं दो बात कहूँगा, एक ! There will be an MoU of Indian Council of World Affairs with Jiwaji University. It will fructify after taking time from the Hon'ble Vice Chancellor. My office will be in touch. Secondly, I invite boys and girls of this university to be my guests at Indian Parliament in batches. That will give me an occasion to interact with you there.