Address by Shri Jagdeep Dhankhar, Honourable Vice President at the 2nd Convocation of Mahatma Gandhi Central University, Motihari in Bihar on December 7, 2024.

Motihari, Bihar | December 7, 2024

सभी को मेरा नमस्कार,

Distinguished audience and dear students,

यह कोई साधारण मौका नहीं है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की हैसियत से, मैं तीन दर्जन विश्वविद्यालयों का Chancellor था और एक दर्जन का Visitor था। देश में कई जगह मैंने इस प्रकार के कार्यक्रमों को देखा है और कुछ में सम्मिलित हुआ हूं। पर यहां पर बात ही कुछ और है। सबसे पहले, विश्वविद्यालय का नाम ‘महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी’ फिर, इसका स्थान ‘मोतिहारी’, फिर, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि – महात्मा गांधी जी ने यहां सत्याग्रह, सत्य के लिए आग्रह और अहिंसा की बात कही।

नतीजा – आजादी के आंदोलन में एक बड़ा बदलाव आया। लोग उसमें जुड़े, सक्रियता से जुड़े, और जो पूरे राष्ट्र में एक हवन था, आजादी का हवन, उसमें जो यहां की आहुति थी, उसने बड़े बदलाव का काम किया। ऐसी जगह आपका विश्वविद्यालय है।

राष्ट्रवाद और राष्ट्र चेतना की भावना से ओत-प्रोत होना यहां सभी के लिए स्वाभाविक है। जो भी यहां आएगा, इस भूमि पर और जो यहां अध्ययन करेगा, वह राष्ट्र धर्म के लिए, राष्ट्रवाद के लिए संकल्पित होगा। There will be commendable commitment to nationalism. We will believe in our nation as "Nation First," above all interests। यह भावना यहां पर है।

शुरुआत कैसे हुई? First convocation address by whom? The President of India. But that by itself is not sufficient—the woman President of India and more to that, the first tribal woman to occupy the highest position.

यह बदलते हुए भारत की सामाजिक न्याय के प्रति एक तस्वीर है। इस पृष्ठभूमि में मेरे लिए यहां आना is a moment that I will ever cherish. Congratulations to all the awardees! और आपको कहा जा चुका है, माननीय राज्यपाल महोदय ने ‘दीक्षांत है, शिक्षांत नहीं’ Your learning continues lifelong।

मैं मानता हूं कि आप में से कोई न कोई नदी के अंदर जरूर खड़ा हुआ होगा। नदी में एक स्थान पर भी रहने के लिए कदमताल जरूरी है; वरना आप खड़े नहीं रह सकते। My appeal to you – keep on learning, learning is lifelong. You will learn from yourself, you will learn from your colleagues, you will learn from your friends, you will learn from challenges. और आपके जीवन में मौका आएगा कि आपको असफलता मिलेगी और आपको लगेगा कि मुझे सफलता मिलनी चाहिए थी। You come to a conclusion, the setback to me is undeserved, the success of the other person is equivalent deserved.

इन बातों पर ज्यादा गौर मत फरमाइए। बच्चा जब जन्म के बाद आगे बढ़ता है, गिरकर ही सिखाता है। कई बार नहीं गिरना चाहिए, तो भी गिर जाता है। and Therefore, my advice to you, Never fear defeat. आएंगे मौके, जीवन में झटका लगेगा, पर जो झटका हमें लगा, राधामोहन जी को लगा, उस समय की परिस्थितियों से वह आपके सामने नहीं है। क्योंकि आज का भारत बदल चुका है। आज का भारत विश्वासता से मोल है। अर्थव्यवस्था में देखें तो छलांग पर छलांग लगा रहा है।

कहां हम घबराते हुए पांच देशों में नाम था, फिर हमने उनको पीछे छोड़ा जिन्होंने सदियों तक हम पर राज किया, and we became the 5th global economy. जर्मनी और जापान पीछे रह जाएंगे, बहुत बड़ी छलांग है, सोचा नहीं था। यह भी नहीं सोचा था, जो गांधी जी का सपना था, कि भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा। एक जमाना था, बिना बिचौलिए के कोई काम होता नहीं था। एक जमात पैदा हो गई थी समाज में। corruption was password for employment, for contract, for opportunities.

गद्य दशक के अंदर बड़ा बदलाव आया है, जो बिचौलिए गायब हो गए। पावर कॉरिडोर की पूरी सफाई हो गई, अब निर्णय उत्तरदायित्व से होते हैं, पारदर्शिता से होते हैं, और बॉयज एंड गर्ल्स, सबसे बड़ी जो आपकी आवश्यकता है, कि कोई मेरी योग्यता को धक्का न लगाए, वह वातावरण आपको मिल रहा है। Patronage has yielded to meritocracy. अब आपकी योग्यता को कोई ठुकरा नहीं सकता, कारण दुनिया अचंभित है कि 140 करोड़ वाले देश में अंतिम छोर के ऊपर टेक्नोलॉजी है, सर्विस डिलीवरी टेक्नोलॉजी से हो रही है। यहां जो गुजर गया वह जानते हैं, बिजली के बल के लिए लाइन, पानी का बिल जमा करने की लाइन, कोई भी व्यवस्था लेने के लिए लाइन, रेलवे टिकट लेने के लिए लाइन, पासपोर्ट कैसे लिया जाता है, पता ही नहीं था, और आजकल यह सब मुट्ठी में आ गया है। आसानी से हो रहा है, यह बहुत बड़ी क्रांति है। पर जैसा कहा गया, यह बहुत बड़ी चुनौती भी है।

विकसित भारत@2047, सपना नहीं है, हमारा लक्ष्य है। पर इस लक्ष्य के लिए हमें बहुत कुछ आहुति देनी पड़ेगी, हर किसी को योगदान देना पड़ेगा। आप अंदाजा लगाइए, विकसित भारत के लिए प्रति व्यक्ति आय जो आज है, उसमें 8 गुना बढ़ोतरी होनी है। अक्सर लोग मुझे कहते हैं कि इसमें नागरिक क्या कहे, बहुत बड़ा मुद्दा है।

मैं आपके प्रांगण में आया, प्रधानमंत्री जी का एक आवाहन था, एक पेड़ मां के नाम, मैंने भी लगाया, महामहिम ने भी लगाया। यह एक व्यक्ति का कृत्य है, पर 140 करोड़ लोग जब ऐसा करेंगे, बच्चों के नाम भी कर दो, कि तेरी मां के नाम का पेड़ मैं लगाता हूं, तू बाद में लगाना, तो कितनी बड़ी क्रांति आएगी। गांधी जी ने जो हमें सिखाया है, यहां पर प्रकृति के प्रति प्रेम, उस प्रेम को दुनिया भूल गई, और आज हम ईसको कहते हैं, बदलता हुआ पर्यावरण, climate change menace.

और सबको पता है, दूसरी धरती तो है नहीं रहने के लिए, और इसको हमने रहने लायक नहीं छोड़ा। उसमें प्रधानमंत्री का एक आवाहन कारगर साबित होगा, एक तरीके से आप सब संकल्पित होकर जाइए, resolved that in coming month you will surely plant at least one sapling in the name of your mother. और एक चलचित्र का हवाला दूंगा, जिसमें एक बहुत बड़ा काम एक एक्टर कर देता है, तो जिसका फायदा होता है, वह कहता है, मैं आपके लिए क्या करूं? तो वह कहता है, कि तू तीन का फायदा कर, फिर वह तीन नौ का फायदा करेंगे। हमें एक पेड़ मां के नाम को क्रांति करना चाहिए, जन आंदोलन करना चाहिए और मान कर चलिए यह धरती की सही पूजा होगी, क्लाइमेट चेंज के प्रति हमारा एक संजीदगी का रिस्पांस होगा।

गांधी जी ने कहा था, ‘स्वदेशी’ बहुत बड़ा नारा था, जो बड़ा कारगर साबित हुआ। उस समय जो हम पर सत्ता करते थे, वह घबरा गए क्योंकि उनके अर्थव्यवस्था चरमरा गई, उनके कपड़े का उपयोग नहीं हो रहा था, उनके उत्पादों का उपयोग नहीं हो रहा था। फिर हम रास्ता बीच में भटक गए। आज स्वदेशी का मतलब है Be vocal for local.

Boys and girls, let me tell you, जब देश में हम आयात करते हैं उन वस्तुओं का जो देश में निर्मित होती हैं, तो इसके तीन दुष्परिणाम हैं: पहला, अनावश्यक विदेशी मुद्रा हमारे भंडार से जाती है। दूसरा, हम बाहर का सामान लेकर पेंट है, शर्ट है, फर्नीचर है, काइट है, दिया है, कैंडल है, कर्टन है, क्या-क्या नहीं मांगते हैं, थोड़े आर्थिक फायदे के लिए, पर वही अगर देश में निर्मित हो, कितने लोगों को काम मिलेगा। ऐसा कर के हम उनके हाथों से काम छीन रहे हैं। तीसरा, जब ऐसा होता है, तो उद्यमी का विकास नहीं होता है, कहने का अर्थ है कि आज के दिन आम व्यक्ति बहुत कुछ कर सकता है।

मुझे एक बात और कही गई कि आप यहां से जाएंगे, जिनका डिग्री मिल गई है, वह इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र कहलाएंगे। दुनिया की बड़ी संस्थाएं देख लो, आप Their reputation, their image, their financial stability is determined by alumni association, Alumni Association का बहुत बड़ा योगदान है।

आप कुलाधिपति, कुलपति जी शुरुआत कर रहे हैं, आप इसको स्ट्रक्चर कीजिए। और इस विश्वविद्यालय के हर छात्र-छात्रा का संकल्प होना चाहिए कि प्रतिवर्ष या प्रति महीने मेरा योगदान विश्वविद्यालय के फंड के लिए ले होगा। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि उसमें ₹10 आते हैं, ₹100 आते हैं, ₹1000 आते हैं, ₹10000 आते हैं, समय के हिसाब से वह बढ़ते जाएंगे, पर आदत पड़नी चाहिए और आदत तब पड़ेगी जब हम संकल्प लेंगे। उसका दूसरा फायदा होगा, आपकी संस्था Alumni Association के माध्यम से देश और दुनिया में फैलेगी। इसके दूर-दूर तक अच्छे नतीजे होंगे।

आज हम सोचते हैं, हमारा युवा सोचता है कि मुझे सरकारी नौकरी चाहिए। Let me, boys and girls, remind you one thing, जब आज से 35 साल पहले संसद सदस्य था, और मेरा परम सौभाग्य है कि आपके मुख्यमंत्री भी उस समय लोकसभा के सदस्य थे, मुख्यमंत्री जी भी उस समय मंत्री परिषद में थे, और मैं भी था। हम दोनों ने हालात देखे थे तब, हमने आज के हालात भी देखे हैं। मुख्यमंत्री जी तो खैर उन हालात के बदलाव के सकारात्मक केंद्र हैं, और बड़ी छलांग कई मामलों में आपका प्रांत लग रहा है, पर उसे समय विदेशी संस्थाएं हमसे चर्चा नहीं करती थी, हमें सीख देती थी, उनका रवैया आदेशात्मक था क्योंकि हमारा विदेशी मुद्रा का भंडार खाली हो रहा था, और सोना गिरवी रखा जा रहा था। स्वाभाविक है।

आज हमारा विदेशी मुद्रा भंडार लबालब है। जब एक बिलियन यूएस डॉलर के पास था, आज यह 660-670 के जा रहा है। ऐसी स्थिति में IMF क्या कहता है? India is favourite destination of investment and opportunity. बहुत बड़ी बात कह रहा है। दुनिया को कह रहा है कि भारत की प्रगति अकल्पनीय है, यहां का डिजिटाइजेशन दुनिया के लिए रोल मॉडल है। वह इसलिए तो नहीं कह रहा है कि सरकारी नौकरियों के लिए कुछ और है तो कह रहा है।

आप थोड़ी नजर फैलाइए, Boys and Girls, आपकी अपॉर्चुनिटी का जो बास्केट है, एक गुब्बारे की तरह बढ़ता ही बढ़ता जा रहा है। मैं विश्वविद्यालय के नेतृत्व से भी कहूंगा कि वर्कशॉप के माध्यम से छात्रों को बताइए, छात्राओं को बताइए, कितनी असीम संभावनाएं उनके लिए बाहर हैं। सरकारी नीतियां कितनी सकारात्मक हैं, धन उपलब्धि कितनी आसान है। आपके मन में कोई विचार आए, उस विचार को जमीनी हकीकत करते समय, कदम-कदम पर आपको नीतियों का फायदा मिलेगा।

Boys and girls, think out of the box. आपके मन में विचार आएगा की मैं जिस भूमि पर हूं, बिहार सांस्कृतिक विरासत की मिसाल है, चाणक्य, चंद्रगुप्त की भूमि है, राजेंद्र प्रसाद यहां के रहे। अनेक नाम दे सकता हूं, जयप्रकाश नारायण, भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर। यह भूमि वापस रंग दिखाने लग गई है, नालंदा गायब हो गया था, अब नालंदा देखने लग रहा है, मैं गया था नालंदा।

यहां अब सृजन हो रहा है, यहां विकास हो रहा है, और जो नया आयाम हुआ है कानून व्यवस्था का, यह छोटा नहीं है, यह बहुत बड़ा काम है। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है, You can take a big leap, you can frog leap in the larger world. The basket of opportunity is ever increasing। आज के दिन, आज का भारत प्रगति कहां कर रहा है? समुद्र में कर रहा है, जमीन में कर रहा है, आकाश में कर रहा है, और अंतरिक्ष में कर रहा है। आपको देखने की आवश्यकता है, ब्लू इकोनॉमी क्या है, स्पेस इकोनॉमी क्या है, एग्रो इकोनॉमी क्या है। आपको देखने की आवश्यकता है, स्टार्टअप क्या है।

मैं आपको बहुत शुभकामनाएं देता हूं। And I have no doubt, जो 2047 की मैराथन मार्च है, जो विकसित भारत की मार्च है, इस मैराथन के अंदर आप सबसे महत्वपूर्ण भागीदार हैं। हम तो नहीं रहेंगे, आप इसके कर्णधार हैं।

Honorable Chancellor and Vice Chancellor, I happened to be part of the Indian Council of World Affairs. Indian Council of World Affairs will have a memorandum of understanding with Mahatma Gandhi Central University ताकि यहां के छात्र-छात्राओं को दुनिया के बारे में पता लगे।

Boys and girls, wish you the very best. You are living in the most vibrant, functional democracy on the planet. You are living in a country that is on the rise like never before. The rise is unstoppable, and you are going to be the most important factor in the development of Bharat.

Thank you so much.